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अर्धनारेश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग

भगवान शिव की नगरी बकावां मे माँ नर्मदा के तल से अनेक प्रकार के कंकर-पत्थर निकलते है जो अनेक प्रकार के रूपों मे पूजे जाते है| जिसमे अर्धानरेश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग अति दुर्लभ शिवलिंग है | जो माँ नर्मदा के तल से प्राप्त होता है |

यह शिवलिंग माता पार्वती और जगत पिता महादेव का साक्षात् स्वरूप है | अर्धानरेश्वर शिवलिंग में आधा भाग भोलेनाथ का है| और आधा भाग माता पार्वती का है

शिव कारण हैं; शक्ति कारक।शिव संकल्प करते हैं; शक्ति संकल्प सिद्धी। शक्ति जागृत अवस्था हैं; शिव सुसुप्तावस्था। शक्ति मस्तिष्क हैं; शिव हृदय। शिव ब्रह्मा हैं; शक्ति सरस्वती। शिव विष्णु हैं; शक्त्ति लक्ष्मी। शिव महादेव हैं; शक्ति पार्वती।शिव रुद्र हैं; शक्ति महाकाली।शिव सागर के जल सामन हैं। शक्ति सागर की लहर हैं।

स्त्री-पुरुष की समानता का पर्याय है | जिस प्रकार भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा शरीर पुरुष का है। यह अवतार स्त्री व पुरुष दोनों की समानता का संदेश देता है। समाज, परिवार तथा जीवन में जितना महत्व पुरुष का है उतना ही स्त्री का भी है। एक दूसरे के बिना इनका जीवन अधूरा है | ये दोनों एक दुसरे के पूरक हैं |

भगवान शिव की पूजा भी शिवलिंग और जलहरी के रूप में की जाती है | जिसमे भगवान भोले नाथ शिवलिंग के रूप में विरजमान है और माता पार्वती को जलहरी के रूप में पूजा जाता है |इससे हमें भागवान यह सन्देश देना चाहते है की नर और नारी एक दुसरे से अलग नही बल्कि एक दुसरे के पूरक है |

जो मिलकर नवजीवन का निर्माण करते है सृष्टी रचना में भी पुरुष और स्त्री के सहयोग की बात कही गयी है पुरुष और स्त्री मिलकर ही पूर्ण होते है | हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ काम स्त्री के बिना पूरा नही माना जाता है| क्युकी वह उसका आधा अंग है  इसी कारण स्त्री को अर्धिनी कहा जाता है

शिवपुराण के अनुसार अर्धनारीश्वर शिवलिंग की कथा –

सृष्टी के प्रारंभ में रची गयी मानसिक सृष्टि विस्तार न पा सकी तब ब्रह्मा जी को बहुत दुःख हुआ| उसी समय आकाश वाणी हुयी आकाश वाणी ने कहा ब्रह्मा अब तुम मैथुनी सृष्टि का संचार करो ,आकाश वाणी सुनकर ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि का निर्माण करने का निश्चय किया 

परन्तु उस समय तक नारियो की उत्पत्ति ना होने के कारण अपने निर्णय में सफल नही हो सके तब ब्रह्मा जी ने परम परमेश्वेर भोले नाथ शिव शम्भू को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या करने  लगे तब भोले नाथ ब्रह्मा जी से प्रसन्न होकर उन्हें अर्धनारेश्वेर के रूप में दर्शन दिया 

देव आदि देव भगवान भोले नाथ के उस स्वरूप को देखकर ब्रह्माजी अभिभूत हो उठे और उन्होंने भूमि पर लेट कर उस अलोकिक विग्रह को प्रणाम किया महेश्वेर शिव ने कहा ब्रह्मा मुझे तुम्हारा मनोरथ ज्ञात हो गया था

जो तुमने सृष्टि के विकास के लिए जो तप किया है उससे में अधिक प्रसन्न हूँ, में तुम्हारा मनोरथ अवश्य पूर्ण करुगा ऐसा  कह कर शिवजी ने आधे भाग से उमा को देवी को अलग कर दिया

उमा देवी को प्रणाम करके ब्रह्मा जी कहने लगे हे शिवे सृष्टी के प्रारम्भ में तुम्हरे पति ने मेरी रचना की थी किन्तु अनेक प्रायसो के बाद भी में असफल रहा अब में स्त्री और पुरुष के समागम से प्रजाओ को उत्पन्न कर के सृष्टी का विकास करना चाहता हु

तब देवी उमा आदि शक्ति ने ब्रह्मा जी को सृष्टी रचना में सयोग किया और शिव जी से विवाह करके सृष्टि को उत्पन्न किया तभी से अर्धनारीश्वर की पूजा की जाती है| 

अर्धनारेश्वर शिवलिंग की पूजा के लाभ || narmdeshwar shivling ke labh

भगवान शिव की अर्धनारेश्वेर मूर्ति की पूजा करने से सुंदर पत्नी और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति अर्धनारेश्वर शिवलिंग की उपासना करता है| वह शिव और पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त कर सभी मनोकामना पूर्ण कर लेता है|

जो भी व्यक्ति अर्द्धनारीश्वर नर्मदेश्वर शिवलिंग का पूजन करता है उसे अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।

नर्मदेश्वर शिवलिंग online –

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